Giloy Benefits: 'अमृत' है गिलोय, दर्जनों बीमारियों को दूर करती है यह औषधि जाने खास बात - LiveAtNews

Giloy Benefits: ‘अमृत’ है गिलोय, दर्जनों बीमारियों को दूर करती है यह औषधि जाने खास बात

Giloy Benefits: बहुत सारे दर्जनों बीमारियों को दूर करती है यह औषधि बहुत लोगों ने इसके बारे में सुना होगा लेकिन कुछ लोग अभी भी ऐसे होंगे जिन लोगों को इसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं पता होगा। कोरोनावायरस के अगेन्स्ट आयुष मंत्रालय ने जो इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा बताया है, उसका एक एक्टिव इंग्रेडिएंट है गिलोय।

गिलोय का सेवन कैसे करें और कितनी मात्रा में लेनी चाहिए? ( How to take Giloy? )

हेल्थ बेनिफिट्स के बाद अब आप लोगों के मन में एक सवाल आता होगा कि गिलोय किस फॉर्म में लें और कितनी मात्रा में लें। गिलोय को आप काफी तरह से ले सकते हैं। एक एक करके हम इसके बारे में जानेंगे। सबसे पहले बात करते हैं गिलोय चूर्ण की अगर आप गिलोय को चूर्ण फॉरमेशन में लेना चाहते हैं तो इसको आप आधा चम्मच चूर्ण लेंगे। शहद या गर्म पानी के साथ खाली पेट दिन में दो बार। अगर आप गिलोय को सत्व के रूप में लेना चाहते हैं तो आप चुटकी भर गिलोय लेंगे उसको शहद के साथ मिलाएंगे और इसको भी आप खाली पेट ही सेवन करें। यह आपके लिवर डिजीज में ज्यादा इफेक्टिव है।

गिलोय का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? Giloy Benefits

आयुष मंत्रालय के अनुसार, 500 मिलीग्राम गिलोय को अर्क के रूप में या 1-3 ग्राम पाउडर के रूप में दिन में दो बार 15 दिन या एक महीने तक गर्म पानी के साथ खाना चाहिए। अगर आप गिलोय को टैबलेट फॉर्मेशन में या कैप्सूल फॉर्मेशन में लेना चाहते हैं तो आप 1 से 2 टैबलेट खाना खाने के बाद इसको ले सकते हैं।

अगर आप गिलोय को जूस के रूप में लेना चाहते हैं तो आप 2 से 3 चम्मच जूस बराबर मात्रा पानी में मिलाकर ले सकते हैं। खाना खाने से पहले दिन में दो बार। अगर आप गिलोय को क्वाथ के रूप में लेना चाहते हैं तो आप इसको 2 से 3 चम्मच पाउडर आप ले सकते। हैं जिसको आप दो कप पानी में बॉयल करेंगे। जब तक वह पानी आपका आधा कप नहीं रह जाता तब तक आप उसको सिम या मीडियम गैस पर पकाएंगे और छानकर खाली पेट इसका सेवन करेंगे।

गिलोय को किन-किन नामों से जाना जाता है? What is the botanical name of Giloy tree?

Giloy Benefits: आज हम आपको ऐसे ही गिलोय के कुछ इंटर्नल और एक्सटरनल बेनिफिट्स के बारे में बातएंगे। शुरू करने से पहले हम यह जान लेते हैं कि गिलोय को किन-किन नामों से जाना जाता है। तो यहां अगर मैं बात करूं इसके Botanical नेम की तो इसका बोटैनिकल नेम है Tinospora Cordifolia इसके अलावा इसे मधु, पढनी, गुडूची, अमृता या रसायन जैसे कुछ नामों से भी जाना जाता है। अगर हम बात करें दिखने में कैसा होता है तो सभी लोगों ने लगभग सुपारी के पत्ते तो देखे ही होंगे, इसके पत्ते कुछ कुछ उसी को रिजनेबल करते हैं।

गिलोय के फायदे (Giloy ke fayde in hindi)

Giloy Benefits: आइए अब शुरू करते हैं गिलोय के हेल्थ बेनिफिट्स से सबसे पहले बात आती है वूड्स यानी कि चोट लगना चोट लगने पर देखा जाता है अधिकतर कट लग जाते हैं। रैशेज हो जाते हैं तो इस कंडीशन में गिलोय अपने रोपण और कषाय यानी के हीलिंग और एस्ट्रिंजेंट प्रॉपर्टी से बहुत हेल्प करता है।

1. हेयरफॉल (Giloy benefits for Hairfall in hindi)

इसके अलावा हेयरफॉल की अगर बात करें तो हेयरफॉल या डैंड्रफ। ऐसी कुछ कंडीशंस में भी गिलोय अपने एस्ट्रिंजेंट और हीलिंग प्रॉपर्टी से काफी हेल्प करता है जो कि आपके बालों को टूटने, झड़ने से रोकता है। साथ ही डैंड्रफ को भी दूर रखता है।

2. इचिंग (Giloy benefits for Etching in hindi)

अगर हम बात करें कुछ रिलेटेड प्रॉब्लम्स जिसमें कुछ इचिंग, रेडनेस या जलन जैसी कुछ प्रॉब्लम आती है। यहां पर भी गिलोय अपने एस्ट्रिंजेंट प्रॉपर्टी से बहुत हेल्पफुल साबित हुआ है।

3. डेंगू (Giloy benefits for dengue in hindi)

अगर हम बात करते हैं डेंगू जैसी कुछ प्रॉब्लम्स को लेकर जहां पर प्लेटलेट काउंट कुछ लो हो जाता है तो यहां गिलोय को रेगुलर अगर इनटेक किया जाए, regularly लिया जाए तो यह आपके प्लेटलेट काउंट को भी नैचुरली इनक्रीज करता है और आपको डेंगू से भी रिलीफ देता है।

4. बुखार (Giloy benefits for fever in hindi)

इसके अलावा अगर बात की जाए फीवर या फीवर जैसी कुछ कंडीशंस तो यहां पर देखा जाता है। जनरली दो वजह से होती हैं इंटरनल फैक्टर्स और एक्सटर्नल फैक्टर्स जो इंटरनल फैक्टर्स होते हैं वह होता है In proper digestion जहां पर आम बनता है। यानी कि टॉक्सिन्स आपकी बॉडी में इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं और एक्सटर्नल फीवर तो सब जानते ही हैं।

मौसम का बदलना या फिर पोलन के कॉन्टैक्ट में आना इस तरह के काफी सारे एक्सटर्नल फैक्टर्स होते हैं। तो इन दोनों ही कंडीशंस में गिलोय आपको इंटरनली आपके डाइजेशन को इंप्रूव करता है, अपने दीपन पाचन प्रॉपर्टी से और साथ ही साथ क्योंकि यह रसायन होता है तो यह बॉडी को रेग्युलेट करता है और आपके फीवर या फीवर जैसे कुछ सिम्टम्स को दूर करता है।

5. डायबिटीज (Giloy benefits for diabetes in hindi)

अब अगर बात की जाए कुछ मेटाबॉलिक डिजीज जैसे कि डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल या लिवर डिजीज तो यहां पर भी गिलोय आपके मेटाबॉलिज्म को इंप्रूव करता है। अपने दीपन पाचन प्रॉपर्टी से दीपन पाचन प्रॉपर्टी सबसे पहले आपके डाइजेशन को इंप्रूव करती है, जो कि लेटर आपके मेटाबॉलिक रेट को भी इनक्रीज करता है। यानी कि आपके मेटाबॉलिज्म को इम्प्रूव करता है और इन सभी प्रॉब्लम्स के सिम्टम्स को दूर करता है। फाइनली आप इन सब प्रॉब्लम्स से रिलीफ पा सकते हैं।

6. अपच (Giloy benefits for indigestion in hindi)

इसके अलावा अगर हम डाइजेशन रिलेटेड एक और कंडीशन देखें डायरिया तो यहां पर भी गिलोय अपने एस्ट्रिंजेंट और दीपन पाचन प्रॉपर्टी की हेल्प से डायरिया से भी रिलीफ आपको देती है।

7. गठिया (Giloy benefits for Arthritis in hindi)

अब अगर हम बात करें कुछ ऑटोइम्यून डिजीज जैसे कि रूमेटॉयड अर्थराइटिस या फिर गाउट तो यहां पर गिलोय वात शामक होने की वजह से यानी कि वात बैलेंसिंग प्रॉपर्टी होने की वजह से गिलोय इन कंडीशंस में आपके पेन से आपको रिलीफ देती है, इंफ्लेमेशन से रिलीफ देती है साथ ही साथ इनके सभी सिम्टम्स को धीरे धीरे करके आपसे दूर करती है। अगर आप गिलोय को अपने रेगुलर इनटेक में लेकर आते हैं।

चलिए अब बात कर लेते हैं गिलोय से संबंधित कुछ कॉमन सवालों के बारे में (FAQs about Giloy)

क्या हम गिलोय की पत्तियां इस्तेमाल कर सकते हैं या इनका सेवन कर सकते हैं?

तो इसका जवाब है हां आप बिल्कुल गिलोय की पत्तियों का सेवन कर सकते हैं। आप इनको चबाकर भी यूज कर सकते हैं जोकि आपके अर्थराइटिस जैसी कुछ कंडीशंस में हेल्पफुल है। आप गिलोय की पत्तियों से बने हुए जूस का भी सेवन कर सकते हैं जोकि आपकी स्किन के लिए बहुत इफेक्टिव है क्योंकि यह टॉक्सिन्स को फ्लश आउट करता है या फिर आप गिलोय की पत्तियों से बने काढ़े को भी यूज कर सकते हैं जो कि आपके गाउट, अर्थराइटिस या फिर डाइजेशन रिलेटेड प्रॉब्लम्स में भी बहुत हेल्पफुल है।

क्या गिलोय खांसी जैसी कंडीशंस में हेल्पफुल है?

जी हां, गिलोय खांसी जैसी कुछ कंडीशंस में भी बहुत हेल्पफुल है। इस केस में जो रेस्पिरेटरी पैसेज में इंफ्लेमेशन होता है, गिलोय अपनी एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी की वजह से इन्फ्लेमेशन को दूर करती है। साथ ही साथ अगर आयुर्वेद के पॉइंट ऑफ व्यू से देखें तो यह वात और कफ शामक होती है जिसकी वजह से यह खांसी को दूर करने में हेल्प करती है।

क्या गिलोय वेट लॉस में काम करता है? क्या ये वेट को बैलेंस करता है?

तो यहां पर भी बिल्कुल करता है क्योंकि वेट बढ़ना एक कारण होता है जब आपका डाइजेशन इन प्रॉपर होता है। यानी कि जब बॉडी में अन्य टॉक्सिन्स यानी के आम इकट्ठा होना शुरू होता है। इस केस में गिलोय अपने दीपन पाचन गुण के कारण डाइजेशन को इम्प्रूव करती है, जिसकी वजह से ऑटोमैटिकली आपका वेट नॉर्मल होना शुरू हो जाता है। लेकिन ऐसा तभी होगा अगर आप गिलोय को रेगुलरली 1 से 2 महीने तक कंटिन्यू लेते हैं।

क्या हम गिलोय बच्चों को दे सकते हैं?

जी हां हम गिलोय बच्चों को दे सकते हैं लेकिन काफी लंबे समय तक ना दें। थोड़े समय के लिए ही इसको दें और गिलोय बच्चों में भूख न लगना या डाइजेशन रिलेटेड प्रॉब्लम या फीवर जैसी कुछ कंडीशन को दूर करने में बहुत ही ज्यादा हेल्पफुल साबित हुआ है।

Importance Precautions (Giloy Benefits)

इन सबके बाद अब बात कर लेते हैं गिलोय की कुछ प्रिकॉशन के बारे में तो यहां मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि गिलोय को एक्सटर्नल अप्लाई करने से पहले आप उसको थोड़ी सी जगह पर लगाकर देख लें कि अगर कोई रैशेज या कोई और एलर्जी नहीं हो रही है तो। तो ठीक है अगर कोई प्रॉब्लम आपको दिखाई देती है तो इसको अप्लाई न करें।

इसके अलावा अगर कुछ एलर्जिक कंडीशंस आपके सामने आती हैं तो गिलोय का उपयोग आप डॉक्टर के सुपरविजन के अंदर ही करें। अब लास्ट में एम जी की तरफ से एक बेनिफिशियल हेल्थ टिप्स। अगर आप गिलोय को एक्सटर्नल अप्लाई करते हैं तो आप इसे हनी या दूध के साथ अप्लाई कर सकते हैं।

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